दोस्त हो तुम मेरे ..

Dost ho tum mere ...

खाकर थपेड़े दुनिया के मैं,                  किसी ठोर,रास्ते गिर जाऊं !

संयम न बंध पाए मुझसे 
सकुचा सा मैं घबराऊं.. 
हो कोई भी सितम आता मुझ पर ..
मेरी नाव हिलोरे खाए,मानो जैसे डूबेगी समंदर में ,
तू सहारा दे टूटे मन को..
दे दिशा नई और मैं तर जाऊ!!


मैं हर दम मग्न सा तेरी बातो में ,
पागल तुझमें खो जाऊं!
नींद हो स्वर्ण से स्वप्नों की ,सिरहाने तेरे,
यादों की चादर, तेरी ओढ़े सो जाऊं!!


मेरे गीतों की हर बानी का,
मुखड़ा तुझे बना जाऊं!
मैं बनूं शब्दो का रंग कही तो,
तेरी खुशबू पंक्ति में भर जाऊं !!


तू मिले समंदर पार मुझे ,
मैं भी कोई दरिया तर जाऊं!
तू जीते सितारे कही तो ,
कोई आसमान मैं उधार धर लाऊं!!


तू जादू जैसे ,मेरे जीवन में हर चुनौती को समझाता है !
मेरे बिखरे अक्षरों को ,शून्य से सहस्र बनाता है !


इस जीवन का बैरागी मैं ,तुझमें संसार बसाता हुं!
तू जादू जैसे मेरे जीवन का, तू छड़ी घुमाए..
और मानो जैसे , मैं करतब दिखलाता हूं !!
तू रक्त न भले मेरे देह का , तुझसे गहरा नाता है !


तुझ बिन अधूरी मेरी परछाई ,तू मुझको पूरा कर जाता है!! 

मैं खड़ा था शून्य पर , तू मुझे शिखर पर ले जाता है .
क्या नाम दूं इस बंधन को ,शायद तू सखा पुकारा जाता है!! 







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