अपने ही रंग में रंगना है मुझे

अपने ही रंग में जीना है मुझे 

गैरो में घुलके ,खुद को छुपा लूं ..
इतना भी आसान नही मेरे लिए !
हर वक्त ,हर पल उसके संग जीना है मुझे !!

ढल जाए ये सुबह ,रागिनी में 
उससे पहले ये गीत गढ़ना है मुझे !
उसकी तृष्णा,उसकी आंखो में है..
वो पलक झपकाए ,उससे पहले उसे पढ़ना है मुझे!!

उसकी उंगली थामे, 
बचपन भर खेला हूं मैं !
बहुत से नाटक थे बचपन के उसके ..
उसके हर नाटक में जोकर बनकर खेला हूं मैं !
पर शायद पहला हूं मैं जो..
अब उसकी हर बात ,परखना है मुझे !
खूब घर–घर खेला संग बचपन में,
बस उसी सपने को हकीकत में बदलना है मुझे !
बीत गया अब वो बचपन तो क्या ...??
उसका हाथ पकड़ अभी और चलना है मुझे!!
बस अपने ही रंग में रंगना है उसे..
अपने ही रंग में जीना है मुझे!!

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