तू जो चले संग मेरे ..!

 तू जो चले बस संग मेरे 

ढल जायेंगे सब सितम मेरे 
बीतेंगी सब घड़ियां पश्चाताप की
रात ढलके हो जायेंगे सवेरे 
जो तू चले बस संग मेरे 

एक रैन जागा मैं घबराया सा अंधेरे में 
बैठा अकेला कोने में , तेरी सुध के घेरे में 
बस तू भी जागे एक रैना संग मेरे 
तो भर जाऊं खुशी से...
मन मेरा नाचे खुशी से , तू चुन–चुन मोती संभाल धरे
 तू जो चले बस संग मेरे ..

अधूरे में भी पा लूं मैं सब कुछ 
जो भी छोड़े मेरे हिस्से का 
अपनी रचना ,अपने गीत सजाए है मैंने तेरी बातो से 
टूटी पंक्तियां तेरी, मेरे बारे में .....
बस बना ले काजी उस किस्से का 
तू बस चले दो कदम संग मेरे 
पर दो कदम वो मेरे हो.. 
जिन बातो से आहत हो मन तेरा 
शब्द मेरी जुबान पे ठहरे हो

बस अब तू संग चले मेरे और मैं पीछे तेरे 
तू अठखेली करे ,और मैं भागू पीछे तेरे 
कभी तू निकले आगे तो तू ठहरे 
मैं थक जाऊ तो तू हाथ पकड़े 
बस यूं ही हाथ पकड़े सफर निजात करे 
तू जो चले बस संग मेरे 
बस तू जो चले संग मेरे ..

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