बचपन याद आया था

बचपन याद आया था....


जिंदगी की उस राह मैंने खुदको पाया था                                                                                                    जब आया इस जहां में तो मां का आंचल ,और पिता का साया था 
नींद आती थी वो बेडौल राग सुनकर जो मेरी मां ने गया था 
चलते चलते गिरा जब मैं...
हाथ पिता ने थामा था
ये कुछ और नहीं मुझे मेरा बचपन याद आया था !!


उसकी गोद की नींद मानो अब बहुत सताती है 
अब बेकार है सारे संगीत,वो बेडौल लोरी बड़ी याद आती है 
वो हर पंक्ति को पूरी ममता से गाती थी,
हर एक स्वर की लहरियों पे ,मुझे स्नेह जताती थी !
वाद्ययंत्र,संगीत इन सब से अनजान थी वो फिर भी ..
हर बार अपनी करुणा से ,आंचल बिखराती थी !!
वो दिन भी अब कभी सपनो की तरकश में रहते है                                                                                       मैं भी उन में खो जाने की , जुर्रत में रहता हूं ! 

हर दिन उस सपने की , मूर्छा में रहता हूं !!
अब भी याद है वो दिन जब मैं ,
बस्ता टांगे पढ़ने को जाता था !
पिता के कंधो को अपना अभिमान बताता था 
उसके कंधो पे मैने कितने मेले देखे थे ??
वो काली राते ,न जाने कितने झमेले थे ??
पर इन सब में वो मुझको साहस से भर देता था 
मेरी तरकश में वो ,प्रयत्न , प्रेरणा रख देता था 
हर क्षोभ में भी वो , मुझको दृढ़ बनाता है 
क्षीण स्वप्नों को वो मेरे ,जड़ बनाता हैं 
हर प्रयास उसका उसे कृतज्ञ बनाता है 
कोई और नही वो,पिता कहलाता है !!


अब छूट गई है वो सब बीती राते,
नए सपने बुनने की तलाश में हूं !
अब उसके कंधे कमजोर हो चले है 
अब मैं उसके संबल के प्रयास में हूं !!
उसकी हर पीड़ा को हर लेना चाहता हूं ,
मेरे कंधो पे उसे,एक मेला दिखा पाऊं 
उतना समर्थ नहीं हूं मैं....
बस हाथ पकड़ उसका ,ये सफर करना चाहता हूं !
उसके तजुर्बे को संजोकर ,अनुभव करना चाहता हूं !!


अब भी यादें ताजा सी रहती है 
वो पूनम की राते ,इसका प्रमाण देती है 
मेरी मां की लोरी आज भी सुनाई देती है 
पिता का वो साहस भरना ,कहां भूल पाता हूं ??
कभी जब याद आए ,तो मानो उन सब में खो सा जाता हूं 
वो दिन कभी और नही कल ही के बिताए थे 
आज भी है वो आंगन मेरा,जहां वो पल बिताए थे 
इन सब में मैं फिर से पागल सा हवा हो जाता हूं !
बचपन की यादों के समंदर में डूबा सा जाता हूं !!


मैं तो जर्जर सी पंक्तियों में कुछ बेतुकी खयाल लाया था 
तुम सुनकर कुछ तो संताप पाओगे ,इस मुकाम आया था 
सब कुछ इन सब का तुमसे ,मुझसे मेल खाता है ??
ये कुछ और नहीं मुझे ,बचपन याद आया था !!







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