जी लेता है...जीने से किसी के

 जी लेता है कोई ...

जी लेता हो कोई जीने से किसी से 

पर कोई , मरने से किसी के मरता है ??

जी लेता है जीने से किसी के ...
पर कोई ,मरने से किसी के मरता है ??

हर वक्त , उस आलम को वो ,अपना–अपना कहता है 
मतलब सी इस दुनिया में,वो सपना –सपना कहता है 
पूरे करने को वो उन सब को ,दर–दर हाथ फैलाता है 
कौन भला देता सहारा ,भला कौन ढांढस बंधाता है ?
टूटे से सपने लेकर वो ,आसमान को तांके रहता है 
जर्जर सा तन है उसका ,एक रोटी को दर–दर तरसता है 
जी लेता है कोई जीने से किसी के,
पर कोई मरने से किसी के मरता है ??

रोता बिलखता ,आवारा, इन सड़कों पे..
अंत में खुद्से खुदको हारा पाता है 
द्रोण भला अब कोई क्यों , किसी को सिकंदर बनाता है 
अब हर दम वो बैरागी , यूंही मारा –मारा फिरता है 
जी लेता है कोई जीने से किसी के ,
पर कोई ,मरने से किसी के मरता है ??

जी लेता है जीने से किसी के ...

आसमां से कुछ ठंडक की , आस लगाए रहता है 
सब शून्य हो जाए फिर भी ,विश्वास बनाए रहता है 
सब का पालन करने को , तपता भीषण अग्नि में
सबको रख पाए समर्थ,इस कयास लगाए रहता है 

पर तुम्हारे राजनीतिक दंगो में ,वो हरदम पिसता रहता है 
जीवन की एक टूटी चप्पल,दर–दर घिसता रहता है 
रुकता नही है वो फिर भी ,तुम्हारे सब दंभो को सहता है 
एक वो ही है जो जी लेता बगैर किसी के 
और मरने से किसी के मरता है !

बताओ अगर कोई हो ,जो ऐसा साहस रखता है 
नींव सींचता अपने रक्त से वो ,प्राणों से जीवित रखता है 
जी लेता है कोई जीने से किसी के ,
पर कोई ,मरने से किसी के मरता है ??


Comments

Post a Comment

Popular Posts