कौन रोक रहा है तुम्हे ??

 कौन रोक रहा है तुम्हे ??

ये आसमां खुला पड़ा है !

फैलाओ ज़रा अपनी बांह..

सारा जहां तुम्हे आजमाने को खड़ा है !!


कौन रोक रहा है तुम्हे ? 

एक बार कोई गीत गढ़ों तो सही !

शब्द भले बिखरे क्यूं ना हो ..

बिखरे शब्दो को,दोहराओ तो सही !!


शायद किसी डगर मिल जाए मंजिल 

या किनारा ही सही ....

एक बार तरासने को खुदको ,

लहरों को चुनौतियों से घेरों तो सही !!


कौन रोक रहा है तुम्हे ??

एक बार उठो तो सही !!

कदम क्यों डगमगाते है तुम्हारे ??

हर जाओगे ये सोचकर ,रुक जाना 

क्या सही है ...??

तुम जीतोगे बेशक,पर हिम्मत से लड़ो तो सही !!

कौन रोक रहा है तुम्हे ??

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