तुम एक सहमी सी लड़की हो

 तुम एक सहमी सी लड़की हो !

पर हेमशा खुद से रोज लड़ती रहती हो !!


तुम एक सहमी सी लड़की हो ..


तुम हमेशा करने को कुछ नया ,तैयार रहती हो ,

हारने पर भी  ,फिर से लडने को तैयार रहतीं हो !

खुद अपने आंगन को सजाने में लगी रहती हो उम्र भर ...

फिर एक दिन उसी छोड़ आगे बढ़ती हो !!


तुम एक सहमी सी लड़की  हो ...


हर गीत में अपना एक नया राग लिखती हो !

फूल भले सकुचे क्यों न ..

हर किसी में ,मन का बाग लिखती हो!!

यूं ही नही तुम काबिल हो इतनी ,

हर बार अपनी शिद्दत पेश करती हो !!


तुम एक सहमी सी लड़की हो...

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