तुम और मैं

अब तुम कुछ इशारा करो ,

तो मैं भी कुछ बात करू!
तू शुरू तो कर इश्क जताना ..
ये रूह मेरी तेरे नाम करू!!
पर तू भी बड़ा बेरहम सा है,
जो मुझे इतना तड़पाता है !
कसम खाकर बता मेरी.. 
क्या तुझे मेरा दर्द नजर नही आता है!!

हर दिन बीत रहा रह रह के ..
लगता है ये सितम, कभी बीतेगा भी नही ..
और वो मान के बैठे है की, 
कोई इजहार करे उनसे ..
याद रखो तुम खुद नही कह दो ..
जब तक ..
ये मेरा दिल भी कुछ कहेगा नही!!

तू मुझ में जैसे पानी सी ,
बेबाक सी घुल–मिल जाती है !
ढूंढता हूं मैं जब चेहरा तेरा ,
अंधेरे में भी ....
तू मेरी परछाई बन उभर आती है !!

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