वक्त बहुत कम है !!

हर कोई इस जीवन को ,

भरकर खुशियों से कभी तो ,

कभी गमों को ढोता है !

रुकता हैं ,थकता है कभी तो ..

कभी हारकर बंद कर पलके, 

फूट फूट कर रोता है !!


ऐसा ही है जीवन का “लोकातीत प्रभव ”

कोई पा लेता है ,गूढ़ ज्ञान का लेखा–जोखा 

तो ढाई आखर ,समझने में आपा खोता है !


ऐसा ही है एक भिन्न बहलाव जीवन का 

कोई पार होता है इसके ..

तो कोई डूबकर इसी मे,

अनम शांति से सोता है !!


कोई पा लेता पल भर में किसी को 

तो पल भर में कोई किसी को खोता है !!


होती नही कोई भी अड़चन मन में 

फिर भी ..

अपने मन को खुद ही उस गहरे 

दुख में निपोता है !

अब बस उम्मीद हो कोई जो 

भरकर निष्ठा से ,

खाली खेतो को उन्नत बीजों से

बोता है !!


पा लेता है पल भर में किसी को 

तो पल भर में किसी को खोता है!!                  

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