न जाने कल क्या–क्या छूट गया


न जाने कल क्या–क्या छूट गया ..??


मेरे बचपन का खिलौना मानो 

एकदम से जैसे टूट गया ! 

अभी– अभी तो कदम बढ़ाए,

न जाने कल  क्या–क्या छूट गया ??


किसी का छूटा आंगन–बचपन 

किसी का सावन छूट गया !

किसी को मिली उपहार जिन्दगी,

किसी का घर लौट आना छूट गया !!


किसी का छूटा दोस्त– याराना 

किसी का साथी रूठ गया! 

किसी से भीगे नैन खुशी से,

कही पहाड़ दुखो का टूट गया !!


न जाने कल क्या–क्या छूट गया ....??


राह देखते थक गए दिन भर 

मन का चाव , भरोसा टूट गया !

हर पल उनकी राह देखते ,

पल भर में ये वक्त भी हाथ से छूट गया !!


न जाने कल क्या–क्या छूट गया ...??


किसी का छूटा हाथ पिता से 

कही मां का आंचल छूट गया !

किसी की टूटी कच्ची बस्ती ,

किसी का शहर पुराना छूट गया !!


न जाने क्या क्या छूट गया ...??


किसी को मिली आराम जिंदगी 

किसी का रैन–बसेरा छूट गया !

किसी ने पाए उपहार कीमती,

किसी का पुराना जूता टूट गया !!


किसी का छूटा ,घर बाबुल का 

किसी प्रेमी का गलियों से नाता टूट गया !

किसी ने पाया मनचाहा साथी ,

कोई दिल ,पागल–आवारा टूट गया !!


न जाने कल क्या–क्या छूट गया ..??


किसी को मिली मान–प्रतिष्ठा

कहीं कलेजा शर्म से डूब गया !

किसी को मिला अतिरिक्त वेतन,

कही घर से पैसा आना छूट गया !

किसी से भुलाए शिकवे सारे,

कही वादा बरसो का टूट गया !!


न जाने कल क्या–क्या छूट गया ??


किसी का छूटा स्कूल–कॉलेज 

किसी का दफ्तर जाना छूट गया! 

किसी को मिला संसार सुखों का, 

कहीं मां का दुलार पाना छूट गया !!


न जाने क्या–क्या छूट गया !!




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