सप्ताह की पहली कहानी “गुलाब खिल उठा ”

सप्ताह का पहला दिन 😊😊
#गुलाब_खिल_उठा

लोग न जाने क्या से क्या कर रहे है ,बाकी इस तरह जमाने की बदलती इच्छाओं को सामने लाना भी बड़ी हिम्मत का काम है !
बहुत लोग इसे पढ़कर एक दम फन्ना जायेंगे ,पर मुझे मालूम है उन लोगो की संख्या ज्यादा है जो इसको पढ़कर एक विश्वास और सांत्वना का ठहाका लगाएंगे क्योंकि उन्हें अपने जैसा एक दोस्त और मिल गया जो ये सब सारे बाजार अपनी इच्छाओं को बिखेरने में लगा हुआ है !
वो लोग बीती सर्दी से परेशान ,लंबे समय से सिर्फ चुल्लू भर पानी में मुंह देकर अपने आत्माओं को शुद्ध कर रहे थे,आज सड़क पर उतर आए है और अपने महकते गुलाब के लिए एक सड़ा हुआ,चेहरा ढूंढ रहे है !
लिहाजा खूबसूरत और जिंदा!!

खैर कोई बात नही अगर कोई चेहरा न मिले तो बेशक आप बिना नहाए ही क्यूं ना हो और सिर्फ परफ्यूम से खुद को महका रखा हो ,बड़ी मशक्कत से नजर फैलाने पर भी अगर कोई चेहरा आपको नही देख रहा तो उस फूल को सहेज ले और घर जाए नहाकर आए और किसी मंदिर में उस फूल को चढ़ा दे !
शायद कोई जिंदा आत्मा आपकी ईश्वरीय भावना से ग्रस्त होकर आपसे आसक्त हो जाए !!

कहानी छोटी सी है गुलाब बहुत महंगा है ,गुलाब के बारे में सब बात करेंगे! 
कहानी के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देकर ,अपने भीतर जिंदा विचारो को जिंदा रहने का आश्वासन देते रहे !!

A_short_name_writer
Abhishek jangid 

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