प्रस्ताव खारिज होंगे


प्रस्ताव खारिज होंगे,अगर प्रयोग खुद की बजाय दूसरो पर किए जाए !!

भले अनजाने में कोई चेहरा मिल भी जाए ,तो एकाएक मन में विचार आ ही जायेगा की हां ये ही वो सड़ा हुआ चेहरा है जिसको भले गुलाब देना छूट गया पर प्रस्ताव तो रखा जा सकता है ! प्रस्ताव एक मन का अकेला होकर, विश्वास करने की आसक्ति है !

तब अगर आप अगर बिना संभले प्रस्ताव रखते है ,तो निश्चित ही ये पंक्तियां इनको एक संबल जरूर देगी !

“किस्मत से जब कांच सुनहरा आसमान से टूटा था

रह–रह के विश्वास जताया ,जो पलक झपकते टूटा था 

गिरे जो अंधड़ में पैर मुसाफिर,

इन सब से घबराना क्या ?? 

काफिरों की बस्ती में , बेमतलब धाक जमाना क्या ??

किसी ने कब कान लगाए ,जब पसीज कलेजा टूटा था 

जब फरेब दिलो की बस्ती ने ,कोई शहर पुराना लूटा था ”


इस तड़क–भड़क वाली जिंदगी में, इस मन को खुश रखना सबसे जरूरी मालूम होता है ! 

इसके लिए अलग–अलग तरीके है, कोई मनपसंद चीज को पाकर अपनी इच्छाओं को आराम देता है ,तो दूसरी ओर कोई फुटपाथ पर मैली सड़क पर एक छोटी–सी जगह पाकर भी बहुत खुश होता है !


ज़िन्दगी में बहुत से प्रस्ताव ,अवसर,अनायास ही आते है



! बशर्ते आप उन सबको किस तरह सही दिशा दे पाते है?? वो महत्व रखता है, न की कितने संख्या में प्रस्ताव रहे ! 

कभी–कभी लोग बहुत जल्दबाजी में फैसले लेते है और फिर खुद ही बाद में उसको लेकर परेशान होते है की– हाय! ये हमने क्या कर दिया??

कमजोर हृदय के लोगो के लिए ये दुश्चिंता हो सकती है, पर प्रयोग से सीखने वाला व्यक्ति इनसे भयभीत नहीं होता है !

किसी दार्शनिक का कथन है कि “एक ही जीवन है ,इसी में प्रयोग करना है और इसी में गलतियां !”

बाकी वो एक अलग बात है की हमसे गलतियां ज्यादा हो रही है !

इन सब से निपटने का सही तरीका है ,एक केंद्र पर कार्य करे ,दूसरो पर भरोसा रखने की जगह खुद पर विश्वास रखे ! एक प्रस्ताव खुदको देकर देखे!

एक प्रयोग खुद करे ,वरना “प्रस्ताव खारिज होंगे !”

ये तय है !



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