नींद नहीं आती है शहरों....

नींद कहां आती है मुझको,
शहर की अफरा–तफरी में ??
कितने अरसे बीत रहे ..
कुछ समेट रहा हूं गठरी में!!

एक रोज़ शहर आ जाओ मां अब 
ताकि लौट आए गाड़ी पटरी पे!
अपने संयम,और दृढ़ता के लक्षण
मुझमें सृजन करा दो ना !!

नींद नहीं आती है शहरों...
मुझे अपनी मीठी गोद सुला लो ना !!

शहर की बरसाते अब,
ठंडक कहां लुटाती है ??
जोरों से आवाज़ लगाकर
अब कहां मुझे तू बुलाती है ??
फिर जोर से आवाज लगा कर,
फिर से मुझे पुकारो ना !
बिगड़ चुकी तस्वीर में मेरी..
फिर से रंग सजा दो ना !!

नींद नहीं आती है शहरो...
अपनी मीठी गोद सुला दो ना !!

मैं मन का सीधा तेरा लाल ,शहर में..
ठगा सा रह जाता हूं ..!
भीड़ में शामिल होकर भी खुदको
लाचार अकेला पाता हूं !!
मेरी बिखरी पगडंडी पे...
अपनी अनुभव की गांठ लगा दो ना !!

नींद नहीं आती है शहरो...
अपनी मीठी गोद सुला दो ना !!

सीख–सीख कर शहरी भाषा 
उकता गया हूं भीतर से ...
सीख–सीख कर रीत पराई,
छला गया हूं भीतर से ...
अपने मन का गीत सुना कर, 
नई रीत–राग बतला दो ना !
नहीं उतरना शहर के सागर,
बस अपने आंचल की गहरी ..
गंगा में मुझे डूबा लो ना ..!!

नहीं पढ़ना विज्ञान–देश को 
मुझे वो बचपन के ,
गीत फिर से सुना दो ना !!

नींद नहीं आती है शहरो...
अपनी मीठी गोद सुला दो ना !!

बहुत याद आती है पुरानी यादें ..
फिर से सारी यादें ,धूल हटाकर..
नई ,ताजा–सी चमका दो ना ...
मुझे, शहर से गांव बुला लो ना ...!!

नींद नहीं आती शहरो मुझको ....
मुझे अपनी मीठी नींद सुला दो ना 

वैसे तो शहरों में मान प्रतिष्ठा
बड़ी ऊंची और कद्दावर है ! 
रोज़ सिपाही–ठेकेदार ठेलता,
ऊंचा औदा, रौब और पावर है..
मन में फिर भी भीतर से 
एक अलग ही उफान उठा है ...
जैसे कोई सिकन्दर
सब पाकर भी,
सर सैया पर लूटा पड़ा है !!
एक रोज़ शहर आकर के मुझको..
अपनी करुणा का घूंट पिला दो ना !!

नहीं चाहिए कोई दौलत शोहरत 
अपनी ममता की ,“चूनर” मुझे ओढ़ा दो ना 

नहीं चाइए कोई मान–प्रतिष्ठा,
मुझे फिर से डांट लगा दो ना !!

नींद नहीं आती है शहरों...
मुझे फिर से गांव बुला लो ना 
मुझे अपनी मीठी गोद सुला दो ना 

मैं शहर को आते वक्त तुम्हारा
कलेजा नम कर आया था ..
पाने को शहर की “तृष्णा” 
तेरा ह्रदय पीड़ा से भर आया था !!
भूख–प्यास मर चुकी शहर में ....
अपने “आंचल” का स्नेह लूटा दो ना !

नींद नहीं आती है शहरो...
अपनी मीठी गोद सुला दो ना !!


मैं हठी, मूर्ख, मतवाला था जो ,
उस रोज़ गांव छोड़ शहर आया था !
मुझको गले लगाकर अब ..
वो बाते सारी भुला दो ना !!

मां मुझको फिर से गले लगा लो ना ..!
फिर से गांव बुला लो ना ..!!

नींद नहीं आती है शहरों...
मुझे अपनी मीठी गोद सुला लो ना ..!!
मुझे फ़िर से गांव बुला लो ना ..!!
मुझे फ़िर से गांव बुला लो ना ..!!









Comments

Post a Comment

Popular Posts