Delhi ki Rajneeti..

 न है सन्डे , न है मंडे !!


करो मेहनत, मिले धंधे


मिले धंधे जो सरकारी




मिले पैसे , लोन चंदे




जो न हो धंधे,वो सरकारी




धुले चेहरे, लगे गंदे 








गणित मेरी उलझ गई है 




जिन्दगी भी ,सिमट गई है 




जिसे देखा हो ,सपनों में 




आज मुड़कर पलट गई गई 




जिसे ढूंढा शहर–शहरों....




वो किस्मत थी जो उजड़ गई है 








न है संडे,न मंडे ..!!








फ्री बिजली ,मुफ़्त दालें 




साफ़ चेहरे जेहन काले 




समझ आई,लौट उनकी 




भरी महफ़िल, वो लॉकअप में 




पड़े डंडे.....!!




पड़े डंडे....!!








रंक,राजा भी होता है 




अंक,आधा भी होता है (रहस्य)




बहुत माया में खो जाना 




जीवन–बाधा भी होता है 




कूप प्रेम भी पड जाना




ह्रदयघातक भी होता है 












एक परिचय हुआ कल ही 




बीच आया ,उछल कर ही 




सुना मैंने,वो कहता है




इधर आजा, मुकर कर ही 




देश–इज्ज़त खरीदेंगे




हुक्म पैरो से रौंदेंगे 








राजनिति के चक्कर में 




उलझ बैठे, बिगड़ बैठे 




कहां मालूम, किधर मोहलत




जेल भीतर सिमट बैठे








ह्रदय धड़के, वो घबराए




मारे ED




न है सन्डे , न है मंडे




करो मेहनत, मिले धंधे








मिले धंधे जो सरकारी




मिले पैसे , लोन चंदे




जो न हो धंधे,वो सरकारी




धुले चेहरे, लगे गंदे 








गणित मेरी उलझ गई है 




जिन्दगी भी ,सिमट गई है 




जिसे देखा हो ,सपनों में 




आज मुड़कर पलट गई गई 




जिसे ढूंढा शहर–शहरों....




वो किस्मत थी जो उजड़ गई है 








न है संडे,न मंडे ..!!








फ्री बिजली ,मुफ़्त दालें 




साफ़ चेहरे जेहन काले 




समझ आई,लौट उनकी 




भरी महफ़िल, वो लॉकअप में 




पड़े डंडे.....!!




पड़े डंडे....!!








रंक,राजा भी होता है 




अंक,आधा भी होता है (रहस्य)




बहुत माया में खो जाना 




जीवन–बाधा भी होता है 




कूप प्रेम भी पड जाना




ह्रदयघातक भी होता है 












एक परिचय हुआ कल ही 




बीच आया ,उछल कर ही 




सुना मैंने,वो कहता है




इधर आजा, मुकर कर ही 




देश–इज्ज़त खरी

देंगे




हुक्म पैरो से रौंदेंगे 








राजनिति के चक्कर में 




उलझ बैठे, बिगड़ बैठे 




कहां मालूम, किधर मोहलत


जेल भीतर सिमट बैठे


ह्रदय धड़के, वो घबराए


मारे ED, छाप ठप्पे


न है सन्डे, न है मंडे !!








































, छाप ठप्पे








न है सन्डे, न है मंडे!






































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